Homeशेखपुराजातियों के बीच भेदभाव मिटाने वाली अनोखी बली बोल परंपरा

जातियों के बीच भेदभाव मिटाने वाली अनोखी बली बोल परंपरा

Unique Bali Bol tradition to eradicate discrimination between castes

There is a unique Bali Bol tradition in Pinjadi village under Barbigha block of Sheikhpura district, in which a group from the Dalit community comes out with a stick, spear in hand and chants Bali Bol slogans The toli takes two and a half rounds in the village. And the work of circling in the tolas of the upper caste is done.

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बली बोल परंपरा का निर्वहन करते हुए
बली बोल परंपरा का निर्वहन करते हुए

Bihar: शेखपुरा जिले के बरबीघा प्रखंड अंतर्गत पिंजड़ी गांव में जातियों के बीच सामंजस्य और भेदभाव मिटाने वाली अनोखी बली बोल परंपरा है, इसमें दलित टोले से एक टोली हाथ में लाठी, भाला लेकर निकलती है और बली बोल नारा लगाती है टोली गांव में ढाई चक्कर लगती है और सवर्ण जाति के टोलों में चक्कर लगाने का काम होता है।

इस परंपरा में घर के आगे सबर झाड़ू, लाठी, भाला इत्यादि रखते हैं जिसे लांघ कर टोली आगे निकलती है, वही इसी टोली में बली बोल का नारा लगाकर गांव का भ्रमण करने के दौरान कई जगह बच्चे और बड़े गलियों में लेट जाते हैं जिसको लाँघ कर बली बोल की टोली निकलती है इसमें मान्यता है की इससे लोग निरोग रहते हैं।

नवरात्रि के नवमी के दिन इस परंपरा का पालन होता है दलित की टोलो से 50 से अधिक संख्या में लोग लाठी भाला लेकर निकलते हैं जिसमें एक घड़ा लेकर इसका समापन फोड़ने के बाद होता है, घड़ा फोड़ने का काम भूमिहार टोली में किया जाता है जिससे यही बली बोल का समापन हो जाता है।

यह परंपरा 300 साल से अधिक पुरानी बताई जाती है, दरअसल श्रवण पासवान के पुरखों द्वारा इस परंपरा की शुरुआत की गई थी जिसका निर्वहन अभी भी किया जा रहा है श्रवण पासवान ने बताया की उसके दादा-परदादा की जमाने से चलता रहा है, इस परंपरा को जातीय सामंजस्य और भेदभाव मिटाने वाला माना जाता है इसमें कई लोग के द्वारा दान दक्षिण भी दिया जाता है।

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