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जातिगत जनगणना तो अंतिम दाव, समाज को जातियों में बांटकर चुनावी नैया हो पार

Bihar: समस्तीपुर के रोसड़ा में जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने जातिगत जनगणना पर बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग जातिगत जनगणना करवा रहे हैं उनको समाज के बेहतरी से लेना-देना नहीं है, जातिगत जनगणना तो अंतिम दाव खेला गया है ताकि समाज के लोगों को जातियों में बांटकर एक बार फिर किसी तरह चुनाव की नैया पार लग जाए, नीतीश कुमार 18 सालों से सत्ता में हैं तो आज क्यों जातिगत जनगणना करवा रहे हैं नीतीश कुमार को 18 सालों से याद नहीं आ रहा था दूसरी बात जातिगत जनगणना राज्य सरकार का विषय है ही नहीं सरकार जातिगत जनगणना नहीं सर्वे करवा रही है जनगणना तो केंद्र सरकार का विषय है।

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उन्होंने कहा कि सर्वे और जनगणना में आसमान जमीन का फर्क है, सर्वे का कोई लीगल एंटीटी नहीं है, सरकार ने इस बात को कभी स्पष्ट नहीं बताया कि सर्वे का जो रिजल्ट आएगा उसकी मान्यता क्या होगी, उसकी मान्यता तो कुछ है नहीं, राज्य सरकार सर्वे कभी भी करा सकती है मान लीजिए अगर लीगल एंटीटी मिल भी गई तो जातियों के जनगणना मात्र से लोगों की स्थिति सुधरेगी नहीं, बिहार के 13 करोड़ लोग जनगणना के मुताबिक सबसे गरीब और पिछड़े हैं ये जानकारी सरकार के पास है इसे क्यों नहीं सुधारते।

दलितों की जनगणना आजादी के बाद से हो रही है उसकी दशा आप क्यों नहीं सुधार रहे हैं, उनके लिए आपने क्या किया, मुसलमानों की जनगणना की हुई है उनकी हालत सुधर क्यों नहीं रही है, बिहार में आज दलितों के बाद मुसलमानों की हालत सबसे खराब है पर कोई इस पर बात नहीं कर रहा है, जनगणना कराने और उसके विरोध करने वाले लोगों से मैं अपील करता हूं कि समाज में कोई वर्ग सही मायने में पीछे छूट गया है और उसकी संख्या ज्यादा है और सरकार सर्वे करवा रही है तो करवाने दीजिए।

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