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नवादा के नरहट प्रखंड के बेरोटा सत्येंद्र कुमार और जर्मन की लारीसा बेल्ट हिंदू रिवाज से शादी के बंधन में बंध गए दोनों साथ-साथ शोध करते थे जर्मनी की लारीसा को ना तो हिंदी आती है और ना ही भारतीय रीति रिवाज लेकिन विवाह समारोह शुरू हुआ तो उसने सारी रस्में निभाई और सिंदूरदान के बाद लारीसा बैल्ज सत्येंद्र कुमार की पत्नी बन गई।
लारीसा अपनी शादी के लिए स्पेशल वीजा लेकर इंडिया आई है उनके माता-पिता को वीजा नहीं मिल पाया जिस वजह से शादी में शरीक नहीं हो पाए जबकि सत्येंद्र का पूरा परिवार और गांव वाले इस शादी में शामिल हुए, लारीसा ने बताया कि यहां की लाइफ इंजॉय करने आई हैं, यहां के लोग बहुत अच्छे हैं यहां के कल्चर और उनके कल्चर में बहुत अंतर है वह अच्छे से भाषा नहीं समझ पाते पाती है, बस कुछ शब्द समझ पाती है उनके हस्बैंड ट्रांसलेट करके समझाने की कोशिश करते हैं।
सत्येंद्र ने बताया कि वह कैंसर पर शोध करने के लिए स्वीडन गए थे स्किन कैंसर पर शोध कर रहे थे जबकि लारीसा बैल्ज प्रोटेस्ट कैंसर पर सर्च कर रही थी इसी दौरान 2019 में दोनों करीब आए फिर दोनों का प्यार परवान चढ़ा और दोनों ने शादी करने का मन बनाया, बीच में कोरोना काल के कारण थोड़ी देरी हुई पर जब हालत सामान्य हुए तो दोनों ने शादी की है।
सत्येंद्र कुमार बरोटा विष्णु महतो और श्यामा देवी के पुत्र हैं, इस शादी से उनके परिवार वाले काफी खुश हैं शादी में शामिल होने वाले लोगों ने कहा कि आज दुनिया बदल रही है ऐसे में हम सब को बदलना होगा, सत्येंद्र के परिवार ने 5 मार्च को गांव में प्रीतिभोज भी रखा था, सत्येंद्र के भाई धर्मेंद्र प्रसाद का कहना है कि भाई ने जो किया काफी अच्छा है इसमें वह उनके साथ है।