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जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा देश की विभिन्नता ही इसकी खूबसूरती है बिहार में कॉमन सिविल कोड की जरूरत नहीं

Bihar: देश में कॉमन सिविल कोड लागू करने को लेकर सत्तारूढ़ दल बीजेपी नेता काफी मुखर है भाजपा का कहना है कि देश के सभी राज्यों में जहां जहां बीजेपी के शासन ने वहां कॉमन सिविल कोड यानि समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी इसी संदर्भ में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा की बिहार में भी कॉमन सिविल कोड लागू होना चाहिए लेकिन बिहार की दूसरी सत्तारूढ़ दल जदयू इससे इत्तेफाक नहीं रखती जदयू के नेता का कहना है कि बिहार में कॉमन सिविल कोड की जरूरत नहीं।

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जदयू के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा

जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है हमारा देश विभिन्नताओं से भरा हुआ है ऐसे में यह कॉमन सिविल कोड की जरूरत नहीं बिहार का शासन बेहतर तरीके से चल रहा है यहां की खूबसूरती को यहां के विभिन्न जातियों, धर्मों के लोगों ने मिलकर बनाया है इसमें कोई छेड़छाड़ की जरूरत नहीं है, उपेंद्र कुशवाहा ने साफ तौर पर इंकार किया कि बिहार में कॉमन सिविल कोड की जरूरत नहीं है।

कश्मीर से धारा 370 और 35A हटाने के बाद बीजेपी पूरी तरह से एक्शन मोड में है उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के बाद बीजेपी की तैयारी है कि उत्तर प्रदेश में भी समान नागरिक संहिता लागू हो, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय टाइगर कहते हैं कि समान नागरिक संहिता वक्त की मांग है राष्ट्रहित में देश की सभी दलों को इस पर सहमति बनानी चाहिए, ऐसे मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए हालांकि उपेंद्र कुशवाहा का बयान पर संजय टाइगर का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा दूसरी पार्टी से ताल्लुक रखते हैं बीजेपी के साथ जदयू का गठबंधन है लेकिन उनकी पार्टी का संविधान अलग है, निशान अलग है, झंडा अलग है, प्रधान अलग है, बिहार के विकास के लिए बिहार की उन्नति के लिए हम लोग साथ हैं और समान नागरिक संहिता पर उन लोगों को भी विचार बनाना चाहिए।

दरअसल समान नागरिक संहिता एक पंथनिरपेक्ष कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है इसके लागू होने से हर धर्म मजहब के लोगों के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा, मुस्लिमों में तीन शादियां करने और पत्नी को तीन बार तलाक बोल देने से रिश्ता खत्म कर देने वाली परंपरा खत्म हो जाएगी वर्तमान में देश और धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के अधीन करते हैं फिलहाल मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय का पर्सनल लॉ है जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं।

देश में अलग-अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर बोझ पड़ता है समान नागरिक संहिता लागू होने से इस परेशानी से निजात मिलेगी और अदालतों में वर्षो से पर लंबित मामले के फैसले जल्दी हो जाएंगे, शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे में भी सबके लिए एक जैसा कानून होगा फिर वह चाहे किसी भी धर्म का क्यों ना हो, वर्तमान में हर धर्म के लोग अपने मामलों का निपटारा अपने धर्म के पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं।

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