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इस मामले को लेकर पुलिस अधीक्षक द्वारा की गई जांच में प्रथम दृष्टया यह बात सामने आई है कि छापेमारी के दौरान ज्यादती के कारण ही डीलर की मौत हुई थी घटना के बाद परिजनों और उनके समर्थकों ने छतौनी के एक निजी नर्सिंग होम व सदर अस्पताल में जमकर हंगामा किया था बाद में सदर डीएसपी अरुण कुमार के नेतृत्व में पहुंची कई थानों की पुलिस ने लोगों को समझा-बुझाकर शांत कराया था।
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मृतक केदार सिंह के पुत्र अनिल कुमार ने छतौनी ने थाने में आवेदन देते हुए कहा था कि 24 अगस्त की रात्रि हो घर में सोए थे, उनके पिता भी कमरे में सोए हुए थे अचानक दरवाजा खटखटाया गया जब वह बाहर निकले तो देखा कि पिपरा थानाध्यक्ष प्रमोद पासवान, दारोगा संजय कुमार यादव, अनिता कुमारी, जमादार अखिलेश सिंह व चौकीदार नगीना वहां मौजूद थे।
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घर में प्रवेश करने के साथ पुलिस टीम ने उनकी पत्नी के साथ धक्का-मुक्की की और पिता की तलाश करने लगे थोड़ी देर बाद भीतर से केदार सिंह को गिरफ्तार कर मारपीट करने लग गए थानाध्यक्ष ने स्वयं राइफल के बट से उनके पिता की पिटाई करके जख्मी कर दिया और सीढ़ी से पटक दिया घटना के बाद जख्मी पिता को छतौनी के एक निजी अस्पताल में सुलाकर पुलिस टीम वहां से भाग निकली।
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