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चेतना सत्र में बच्चों को शीतलहर और तूफान से बचाव के बताए गए तरीके

Bihar: कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के सभी विधालयों में शनिवार को सुरक्षित शनिवार के तहत बच्चों को शीतलहर और तूफान से बचाव के लिए शिक्षक द्वारा कई महत्वपूर्ण जानकारी दिए गई हैं, शिक्षकों द्वारा चेतना सत्र के दौरान बताया गया शीतलहरी उस अवस्था को कहते हैं, जब सर्दी के दिनों में तापमान सामान्य न्यूनतम तापमान से 5 से 6 डीग्री नीचे चला जाता है, यह अवस्था 2-3 दिनों तक लगातार बनी रहे तो इसे शीतलर कहा जाता है, वहीं दूसरा यदि यही तापमान 7 डीग्री से निचे चला जाता है तो उसे शीतलहर की गंभीर अवस्था माना जाता है।

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यह पैमाना उस स्थानों के लिए है जहां का सामान्य न्यूनतम तापमान 10 डीग्री या उससे उपर रहता है, शीतलहर के कारण कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती है एवं कई बार यह जानलेवा भी साबित होता है, शीतलहर का सबसे ज्यादा खतरा बच्चों और बुजुर्गों को रहता है, सभी बच्चों को बताया गया कि अधिक ठंड होने से श्वसन तंत्रों में संक्रमण, बच्चों में दम्मा या खांसी की बीमारी, निमोनिया, डायरिया होने का खतरा बढ़ जाता है, अधिक ठंड लगने से हाइपोथेमिया नामक बीमारी हो सकती है, बुजुर्गों को ठंड लगने से लकवा मारने की घटनाएं भी बढ़ जाती है, अधिक ठंड होने से मांसपेशियों में कंपन पैदा होता है, जिससे कंपकंपी आने लगती है दांत किटकिटाने लगते है।

शीतलहर का प्रभाव हृदय, रक्त वाहिनियों पर पड़ता है, इसलिए दमा खांसी के रोगी दिल के दौरे के मरीज, नन्हें बच्चों को सर्दी के मौसम में विशेष रूप से प्रभावित होते हैं, अधिक धुंध या कोहरे के कारण बहुत नजदीक की भी वस्तू नहीं दिखाई पड़ती है, ऐसी स्थिति में सड़क पर चलने या सड़क पार करते हुए विद्यालय आने या घर जाते समय बच्चों के लिए सड़क दुर्घटना का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए सड़क पर चलते समय सावधानी बरतना चाहिए।

बच्चों को शीतलहर से बचने के लिए भी कई उपाय बताए गए, जिसमें गर्म कपड़े पहनने जाड़े के दिन में सुबह धूप में बैठने सहित कई अन्य जानकारियां भी दी गई, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार साह ने बताया कि शनिवार को सुरक्षित शनिवार के तहत बच्चों को शीतलहर के बारे में जानकारी दी गई है, ताकि उनके माध्यम से उनके अभिभावकों तक भी यह जानकारी पहुंच सके और लोग ठंड से अपना बचाव कर सकें।

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