The Election Commission took the decision to seize the bungalow, the election symbol of LJP.
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चुनाव आयोग के आदेशानुसार जब तक इस पर अंतरिम फैसला नहीं हो जाता तब तक लोजपा के दोनों समूह इस चुनाव चिन्ह का प्रयोग नहीं कर पाएंगे, चुनाव आयोग ने अंतरिम उपाय के तौर पर दोनों गुटों से अपने समूह का नाम और प्रतीक चिन्ह चुनने को कहा है, जो बाद में उम्मीदवारों को आवंटित किया जा सकेगा।
शनिवार को अपने आदेश में आयोग ने चाचा भतीजा दोनों के नामों का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों गुट लोजपा के नाम पार्टी के चिन्ह का इस्तेमाल उपचुनाव के दौरान नहीं कर सकते हैं, लोजपा के चुनाव चिन्ह पर दावे को लेकर दोनों गुट ने अपना अपना पक्ष चुनाव आयोग के समक्ष पेश किया था, मगर आयोग ने किसी के दावे को स्वीकार नहीं किया, ऐसे में जब बिहार में 2 सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव की घोषणा जोकि हो चुकी है।
चिराग पासवान एवं पशुपति पारस अपना-अपना दावा बंगला पर जता रहे थे, और चुनाव आयोग से दोनों समूह के द्वारा यह आग्रह किया गया था कि 8 अक्टूबर से पहले इस पर फैसला लिया जाए क्योंकि उपचुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 8 अक्टूबर ही है।
आपको याद दिलाते चलें कि रामविलास पासवान के निधन के उपरांत पार्टी में अंदरूनी कलह काफी तेजी से बढ़ गई थी, 16 जून को चिराग पासवान की गैरमौजूदगी में पांचों सांसदों ने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई और हाजीपुर सांसद पशुपति पारस को संसदीय बोर्ड का नया अध्यक्ष चुन लिया।
जिसकी सूचना लोकसभा स्पीकर को भी दी गई थी, जिसके दूसरे दिन लोकसभा सचिवालय से उन्हें मान्यता भी मिल गई थी। बता दें कि लोकसभा में लोजपा के कुल 6 सांसद हैं जिसमें 5 सांसद पशुपति पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज ने चिराग पासवान को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था।
जिसके बाद उन्होंने पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया, जिसके उपरांत परिवार में ही पार्टी दो समूहों में बट गई और दोनों समूह के द्वारा लोजपा के चुनाव चिन्ह बंगला पर अपना अपना अधिकार जताया जाने लगा, फिर यह मामला चुनाव आयोग के पास चला गया जिस पर अंतरिम फैसला आना बाकी है।