Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
प्रशांत किशोर का कहना है कि अगले तीन चार महीने में 3,000 किलोमीटर पदयात्रा करेंगे इसकी शुरुआत चंपारण से होगी, करीब 17,000 लोगों से बात करेंगे अगर ज्यादातर लोग सुराज और नई सोच के पक्ष में रहते हैं और किसी राजनीतिक पार्टी के ऐलान की जरूरत पड़ती है तो उसका भी ऐलान किया जाएगा, ये पार्टी प्रशांत किशोर की नहीं होगी।
बिहार स्वास्थ्य, शिक्षा समेत कई मानकों पर आज भी देश के सबसे निचले पायदान पर है बिहार अगर आने वाले समय में अग्रणी राज्यों की सूची में आना चाहता है तो इसके लिए उसे नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है, आने वाले 10 से 15 सालों में अगर बिहार में बदलाव लाना है तो जिन रास्ते पर बिहार चल रहा है उससे नहीं पहुंच सकते, इसके लिए नई सोच और नई कोशिशों की जरूरत है।
पीके का कहना है कि कई लोगों का मानना है कि बिहार में केवल जाति के आधार पर वोट मिलता है मैं जाती नहीं बल्कि समाज के सभी लोगों को हाथ जोड़ने की कोशिश कर रहा हूं मैं कोरोना कि खत्म होने का इंतजार कर रहा था ताकि किसी नई योजना पर काम कर सकूं अगर मैं कोरोना के दौरान यात्रा की शुरुआत करता तो लोग मुझ पर सवाल खड़े करते।
अगर राजनीति पार्टी का ऐलान हुआ तो वह प्रशांत किशोर की पार्टी नहीं होगी वह उन लोगों की पार्टी होगी जो बिहार में बदलाव, सुराज और नई सोच की बात का समर्थन करते हैं, अभी कोई पार्टी नहीं है और ना ही कोई मंच, आप मुझे बिहार में पॉलीटिकल एक्टिविस्ट के तौर पर देख सकते हैं, नीतीश कुमार से कोई निजी मतभेद नहीं है नीतीश कुमार दिल्ली आते हैं और लोग कहते हैं कि मैं जदयू ज्वाइन करूंगा लेकिन यह सिर्फ अफवाहें है।