Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
जिसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों के द्वारा पुरातत्व विभाग के कर्मियों को घेर लिया गया और रास्ता रोककर विरोध प्रदर्शन किया जाने लगा। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पुरातत्व विभाग की टीम को वापस लौटना पड़ा। जानकारी के अनुसार पुजारी द्वारा लाए गए पानी से शिवलिंग को धोकर अधिकारी उसकी प्राचीनता का पता लगा रहे थे। तभी अफवाह फैल गई। मामले की सूचना मिलते ही एसडीपीओ राकेश कुमार भास्कर अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे।
एसडीपीओ ने ग्रामीणों को समझाया कि टीम शिवलिंग लेने नहीं, बल्कि यह जांच करने आई थी कि शिवलिंग कितना पुराना है। उन्होंने लोगों को अफवाहों से बचने की सलाह दी और स्पष्ट किया कि प्रशासन का उद्देश्य केवल शिवलिंग की प्राचीनता का पता लगाना था। एसडीपीओ के समझाने के बाद ग्रामीण शांत हुए।



