Bihar, कैमूर: चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में सिंचाई की गंभीर समस्या से परेशान किसानों ने अब चुनाव को ही हथियार बनाने का एलान कर दिया है। सोमवार को बखारी देवी प्रांगण में बढ़ौना, भरारी, रामगढ़ और सौखरा पंचायतों के सैकड़ों किसान एकत्र हुए और सिंचाई संकट के खिलाफ पंचायत कर धरना दिया। किसानों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि जब तक सिंचाई की समस्या का स्थायी समाधान नहीं होता, तब तक इस क्षेत्र के मतदाता वोट का बहिष्कार करेंगे और चुनाव प्रचार के लिए आने वाले नेताओं को काला झंडा दिखाया जाएगा।
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धरना स्थल पर मौजूद किसानों ने कहा कि आजादी के 76 साल बाद भी चैनपुर विधानसभा के इन चार पंचायतों में खेती पूरी तरह से मानसून पर निर्भर है। हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन पानी के अभाव में बंजर हो गई है। किसानों ने आरोप लगाया कि जब-जब चुनाव आते हैं, नेताओं द्वारा छह माह के अंदर गंगा बहा देने का वादा किया जाता है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद सब भूल जाते हैं।
किसान नेता गंगाधर साधु ने स्पष्ट शब्दों में कहा – “इस बार वोट के पहले पानी चाहिए। वादा करके मुकर गए नेताओं को काला झंडा दिखाया जाएगा। हर बूथ से खाली बक्सा जाएगा।” वहीं, विनोद तिवारी, केशनाथ मौर्या, कृष्णानंद पांडेय और राजेश तिवारी ने कहा कि इस क्षेत्र से अब तक तीन मंत्री – महाबली सिंह, बृज किशोर बिंद और वर्तमान मंत्री जमा खान – चुने गए, लेकिन किसी ने भी किसानों की मूलभूत समस्या का समाधान नहीं किया।
धरना में शामिल किसानों ने बताया कि कुछ ने मजबूरी में बुवाई की थी, लेकिन पानी नहीं मिलने से फसल सूख गई और बर्बाद हो गई। कई गांवों में गर्मियों में पीने तक का पानी नहीं मिलता। लोग दो किलोमीटर दूर से पानी ढोने को मजबूर हैं।
राजेश तिवारी ने सिंचाई व्यवस्था के लिए विकल्प सुझाए। उन्होंने कहा कि करनाल बिठाकर भी पानी पहुंचाया जा सकता है। जगदंहवा डैम और तालाखोरी से पानी लाकर भी व्यवस्था संभव है। मगर नेताओं ने कभी ठोस कदम नहीं उठाया।
किसानों ने एलान किया कि इस बार वे नेताओं के खोखले वादों में नहीं आएंगे। अगर समय रहते सिंचाई की व्यवस्था नहीं की गई, तो पूरा क्षेत्र वोट का बहिष्कार करेगा। धरने में यह नारा गूंजा – “वोट से पहले पानी चाहिए, नहीं तो वोट का बहिष्कार करेंगे।”
किसानों के इस निर्णय से यह साफ हो गया है कि चैनपुर विधानसभा क्षेत्र में आगामी चुनावों का सबसे बड़ा मुद्दा सिंचाई और पानी की किल्लत बनने जा रहा है। अब देखना होगा कि सरकार और जनप्रतिनिधि इस गंभीर समस्या को दूर करने के लिए क्या ठोस कदम उठाते हैं।