Last farewell to BSF jawan with state honors in Kaimur
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ग्रामीणों ने बताया कि असैदे के दुखहरन यादव के छोटे पुत्र कमलेश बीएसएफ की 169 वीं बटालियन में सीटीडब्लू सी के पद पर कार्यरत थे। दो महीना पहले अगस्त माह में उनकी तबियत खराब हुई तो सितम्बर माह में छुट्टी लेकर गांव आ गए। ताकि इलाज के बाद बेहतर स्वास्थ्य लाभ कर सके। इसी बीच तीन अक्टूबर को कमलेश पश्चिम बंगाल स्थिति अपने बटालियन में लौट गए।
शव को लेकर आये बीएसएफ के एसआई जॉसेफ भेंगरा ने बताया कि गांव से जाने के बाद जवान की तबियत एकाएक बिगड़ गई, तबियत बिगड़ने के बाद उसे बटालियन के अस्पताल में एडमिट कराया गया जहां तीन दिन बाद इलाज के दौरान जवान की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि जवान कमलेश को लिवर कैंसर हो गया था, जिसका इलाज किया गया लेकिन अआखिरकार ड्यूटी के दौरान ही उसकी धड़कन थम गई।
वहीं कमलेश का शव जैसे ही पैतृक गांव असैदे पहुंचा, गांव में कोहराम मच गया।अपने कंधे पर साथी जवान के ताबूत को ले बीएसएफ के जवान गांव की गलियों से गुजर रहे थे तो गांव की महिलाएं व पुरुष भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। जवान का शव दरवाजे पंहुचते ही पत्नी ददन देवी शव को देख बेसुध हो गई। उसकी चीत्कार सुन मौजूद लोग भी द्रवित हो उठे।
आपको बता दें कि मृत बीएसएफ के जवान कमलेश कुमार सिंह पांच भाइयों में सबसे छोटे थे, दो पुत्र जितेंद्र व धर्मेंद्र है जिसमे बड़े पुत्र जितेंद्र व दोनों पुत्री प्रतिमा व पूजा की शादी हो चुकी है। छोटा पुत्र धर्मेंद्र स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुका है। ग्रामीणों ने बताया कि कमलेश बहुत ही मिलनसार व व्यवहार कुशल थे। वहीं बीडीओ प्रदीप कुमार व थानाध्यक्ष रामकल्याण यादव ने पुष्प अर्पित कर बीएसएफ जवान को राजकीय सम्मान दिया। वही क्षेत्र के अन्य लोग असैदे गांव पंहुच जवान के शव पर फुल माला चढ़ा नमन किया।