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कैमूर मुक्ति मोर्चा ने अधौरा प्रखंड में बनने जा रहे टाइगर रिजर्व के विरोध में प्रतिरोध मार्च के बाद आयोजित की सभा

Bihar: कैमूर जिले के अधौरा प्रखंड अंतर्गत मुख्यालय के समीप शुक्रवार को बिरसा मुंडा स्मारक स्थल पर कैमूर मुक्ति मोर्चा के प्रखंड इकाई ने अधौरा प्रखंड में बनने जा रही टाइगर रिजर्व के विरोध में प्रतिरोध मार्च निकाला इसके बाद उक्त स्थल पर सभा का आयोजन किया गया, सभा की अध्यक्षता कैमूर मुक्ति मोर्चा संगठन के वरीय सदस्य रामपरीखा सिंह खरवार व संचालन संगठन के सक्रिय युवा सदस्य विनोद शंकर खरवार ने किया।

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आयोजित सभा में शामिल लोग

कैमूर मुक्ति मोर्चा नामक संगठन कई वर्षों से जल, जंगल और जमीन पर वनवासियों के परंपरागत अधिकार के लिए आंदोलनरत है, संगठन के लोगों का मानना है कि वन विभाग के अधिकारियों व कर्मियों ने भोले-भाले आदिवासियों को अंधेरे में रखा है और वन सेंचुरी लागू कर विकास को बाधित कर दिया है।

सभा के दौरान मुस्तैद पुलिस

इसी कानून की वजह से अधौरा पठार पर निवास करने वाले लोगों को न तो बिजली की सुविधा मिली है और ना ही पक्की सड़कों का निर्माण हो सका है, यहां हर गांव में जाने के लिए वनों से गुजर कर जाना पड़ता है, इस कानून की वजह से ही जंगलों में विचरण, भ्रमण, आखेट, वनोत्पादन का संग्रहण वर्जित है, सेंचुरी कानून से पहले ही बदमाशी भयभीत है, दूसरे अब सरकार के निर्णय के मुताबिक अधौरा के जंगलों में बाघ अभ्यारण यानि टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा।

संगठन के लोगों का कहना है कि टाइगर रिजर्व बनने के बाद दर्जनों गांवों को विस्थापित कर दिया जाएगा इस आशंका से वनवासी भयभीत हो गए हैं, सभा में उपस्थित लोगों को संगठन के लोगों ने प्रेरित करते हुए कहा कि जल, जंगल और जमीन पर वनवासियों का परंपरागत अधिकार है इसे छीनने का सरकार प्रयास कर रही है, संगठन के सक्रिय सदस्य राजालाल खरवार ने संबोधित करते हुए कहा कि टांगी, तीर, धनुष हमारे पारंपरिक हथियार हैं इससे हम अपनी सुरक्षा के लिए जंगल में लकड़ी चुनने में, महुआ चुनने वाले अन्य लघु वनोपज संग्रह के लिए सदियों से जाते रहे हैं दमनकारी कानून की आड़ में वन विभाग के द्वारा हमारी टांगी छीनी जा रही है जो हमारी सभ्यता पर हमला है।

इसका विरोध हम अपनी जान कुर्बान कर के भी देंगे, वनों की रक्षा हम वनवासी नहीं करेंगे तो सरकार दलाल क्या करेंगे, पहले हमारा अधौरा हरा भरा था यहां पर जंगल घने थे, यहाँ जंगल के राजा शेर, बाघ, भालू, हिरण, सांभर, सूअर नील गाय आदि निर्विघ्न रूप से विचरण किया करते थे आज वन विभाग की ओर से वृक्षारोपण, वन्य जीव संरक्षण के नाम पर हर साल करोड़ों रूपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं फिर भी जानवर लुप्त हो गए हैं और जंगल वीरान हो गया है।

सभा में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 26 मार्च से 28 मार्च तक कैमूर बाघ अभ्यारण के विरोध में अधौरा से भभुआ पदयात्रा कर जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन व सभा का आयोजन कर जिलाधिकारी को मांग पत्र सौंपा जाएगा, वही प्रखंड प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे प्रशासन सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क दिखी, बता दें कि बीते वर्ष सितंबर 2020 में इसी प्रकार के दो दिवसीय धरना प्रदर्शन के दौरान संगठन के लोगों और पुलिस के बीच पत्थरबाजी और गोलीबारी घटना घटित हुई थी इसमें काफी तोड़फोड़ की गई थी, प्रशासन की ओर से दो दर्जन लोगों पर मामला भी दर्ज किया गया था।

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