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कैमूर के जागरूक किसान बने रजनीकांत और ओमप्रकाश, गरमा धान लगाकर प्राप्त कर रहे हैं धान की दो फसल

Bihar: कैमूर चैनपुर प्रखंड में इन दिनों सभी किसान खेतों की जुताई और धान के फसल की बुवाई में जुटे हुए हैं, तो कई किसान पानी के अभाव में अब तक अपने खेतों में धान की बुवाई नहीं करवा सकते हैं, कई किसान सूखे की आशंका से आशंकित है, मगर आपके कैमूर में दो ऐसे भी जागरूक किसान हैं, जो धान की दो-दो फसल 1 वर्ष में उगा रहे हैं। ‌ ज्यादातर देखने को मिलता है कि प्रत्येक वर्ष किसान अपने खेतों में दो फसलों की बुवाई करते हैं पहली धान दूसरी गेहूं या गेहूं की जगह पर मसुर तीसी और सरसों, तो कुछ लोग तीसरी फसल के रूप में मुंग लगाकर फसल प्राप्त करते हैं, मगर वर्तमान समय में जिले में दो ऐसे जागरूक किसान हैं, जिन्होंने समय का सदुपयोग करते हुए और परती पड़ी भूमि को उपयोग में लाकर 1 वर्ष में दो बार धान की फसल काटने वाले किसान बन गए हैं, दोनों किसान धान की तैयार फसल को काटते हुए दोबारा फिर से धान की फसल की बुवाई की तैयारी में जुटे हुए हैं।

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जिले के दो जागरूक किसानों में पहले किसान चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के ग्राम मलिक सराय के निवासी रजनी कांत तिवारी उर्फ पप्पू तिवारी पिता स्वर्गीय कैलाश तिवारी का नाम शामिल है, जिन्होंने गरमा धान के बीज का उपयोग करते हुए, अतिरिक्त फसल का लाभ उठाया है, जबकि उन्हीं के साथ रहने वाले ग्राम मदुरना के निवासी ओमप्रकाश सिंह भी गरमा धान का उपयोग करते हुए 2 बीघे में धान की फसल लगाकर जुलाई माह में फसल की कटाई कर रहे हैं।

इससे जुड़ी जानकारी लेने पर रजनीकांत तिवारी मलिक सराय के द्वारा बताया गया इनके परिवार के कुछ सदस्य एग्रीकल्चर से शिक्षा प्राप्त किए हुए हैं, उन्हीं के मार्गदर्शन में गरमा धान के बीजों का उपयोग करते हुए, होली के समय गरमा धान के बिचड़े डाले गए, पौधा तैयार होने के उपरांत अप्रैल माह में 7 बीघे में बुवाई करवाई गई, गरमा धान की समय अवधि कुल 90 दिनों की है 90 दिनों में फसल पूरी तरह तैयार हो जाती है, जुलाई माह में 15 तारीख से फसल की कटाई शुरू है, फसल बहुत ही अच्छा तैयार हुआ है, इनके साथ रहने वाले ग्राम मदुरना के निवासी ओमप्रकाश सिंह भी 2 बीघे में गरमा धान की बुवाई अप्रैल माह में करवाए थे, उनकी फसल भी तैयार हो चुकी है, फसल कटाई के तुरंत बाद खेतों में दोबारा फिर से धान के पौधों की बुवाई होगी इस तरह 1 वर्ष में दो बार धान की फसल प्राप्त करेंगे।

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जानकारी देते हुए जागरूक किसान रजनीकांत तिवारी ने बताया जिले के सभी किसान खासकर वैसे किसान जो समय से गेहूं की फसल की कटाई कर लेते हैं वह गरमा धान का उपयोग कर अतिरिक्त फसल प्राप्त कर सकते हैं, इससे उनके आय के स्रोत भी बढ़ेंगे साथ ही परती पड़ी भूमि का उपयोग भी होगा, पशुओं के लिए चारा भी मिलेगा।

वहीं इससे जुड़ी जानकारी जब प्रखंड कृषि पदाधिकारी परमात्मा सिंह से लिए और गरमा घान के विषय में जानकारी प्राप्त किए तो उनके द्वारा बताया गया, गरमा धान की खेती ज्यादातर नॉर्थ बिहार में किए जाते हैं, गरमा धान को बोरो धान कहा जाता है, जिसकी कई प्रजातियां हैं, नॉर्थ बिहार के ज्यादातर इलाके बाढ़ से प्रभावित होते हैं, उन इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के पहले ही धान की फसल तैयार हो जाती है और किसान धान की फसल प्राप्त कर लेते हैं, क्योंकि कैमूर जिले में ज्यादातर लोग जून-जुलाई में ही धान की फसल लगाने में दिलचस्पी दिखाते हैं, वर्तमान समय में चैनपुर के दो वैसे किसान जो गरमा धान लगाकर अतिरिक्त फसल प्राप्त किए हैं, वह खुद अपने निजी स्रोत के माध्यम से, धान के बीज प्राप्त कर धान की फसल उगाते हुए फसल प्राप्त किए हैं, अन्य किसान भी अगर इस तरह जागरूक बने तो धान की दो फसल प्रत्येक वर्ष प्राप्त कर सकते हैं।

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