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काशी का गंगाजल भगवान शिव को है समर्पित फिर क्यों पूजा में है वर्जित, जानिए कारण

रोचक जानकारियां: काशी (वाराणसी) का गंगाजल पूजा में वर्जित (निषिद्ध) माना जाता है, इसका कारण धार्मिक मान्यता और शास्त्रीय नियमों से जुड़ा है। मुख्य कारण इस प्रकार हैं –

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1. मृत्युभूमि की मान्यता

काशी को “महाश्मशान” कहा जाता है, क्योंकि यहां हर समय मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार होते रहते हैं।

यहां का गंगाजल श्मशान के जल से मिला हुआ माना जाता है, इसलिए इसे श्राद्ध, तर्पण और पितृ कर्म में तो पवित्र माना जाता है, लेकिन देव पूजा में नहीं।

2. शास्त्रीय निर्देश

धर्मशास्त्र और स्मृति ग्रंथों में उल्लेख है कि काशी के गंगाजल का प्रयोग मोक्ष और पितृ उद्धार के लिए श्रेष्ठ है, लेकिन इसे देव प्रतिमा स्नान या सामान्य पूजा-अर्चना में नहीं करना चाहिए।

इसके पीछे कारण यह है कि यह जल अंत्येष्टि संस्कार से अधिक जुड़ा है, न कि मंगल कार्यों से।

3. तांत्रिक और पुराणिक कारण

“काशी खंड” और कुछ पुराणों में वर्णन है कि यहां का जल शिव को समर्पित है और मुख्यतः आत्मा की मुक्ति के लिए है।

पूजा में इसे लेने से मंगल के बजाय अमंगल प्रभाव की आशंका मानी जाती है।

4. व्यवहारिक कारण

गंगाजल यहां लगातार शवदाह स्थलों के समीप बहता है, इसलिए इसे संस्कार शेष जल मानकर पूजा में वर्जित किया गया है।

👉 संक्षेप में
काशी का गंगाजल देव पूजा में वर्जित है, लेकिन यह श्राद्ध, तर्पण, पितृ कर्म और मोक्ष कार्यों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

यहाँ मैं आपको पूजा-अर्चना के लिए सबसे श्रेष्ठ माने जाने वाले गंगाजल के स्थानों की सूची दे रहा हूँ —

ऋषिकेश

पूजा में उपयोग के लिए श्रेष्ठ गंगाजल के स्थान

1. गंगोत्री (उत्तरकाशी, उत्तराखंड)

गंगा का उद्गम स्थल, जल बिल्कुल निर्मल और पवित्र।

शास्त्रों में गंगोत्री का जल देव पूजा में सर्वोत्तम कहा गया है।

2. गोमुख

भागीरथी का वास्तविक स्रोत।

यहाँ का जल ठंडा, शुद्ध और औषधीय गुणों से भरपूर।

3. हरिद्वार (हर की पौड़ी)

यहाँ गंगा सबसे पवित्र और तीर्थ स्नान के लिए श्रेष्ठ मानी गई है।

पूजा, यज्ञ, अभिषेक के लिए हरिद्वार का जल बहुत शुभ।

4. ऋषिकेश

हिमालय से सीधे आने के कारण जल शुद्ध और स्फटिक जैसा साफ।

घर में पूजन और अभिषेक के लिए उत्तम।

5. प्रयागराज (त्रिवेणी संगम)

गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम स्थल।

यहाँ का जल विशेषकर यज्ञ, हवन और व्रत पूजा में श्रेष्ठ।

6. वाराहक्षेत्र (बक्सर, बिहार)

पुराणों में वर्णित पवित्र स्थल, यहाँ का जल व्रत और संकल्प में उपयोगी।

7. सुल्तानगंज (बिहार)

यहाँ गंगा उत्तरवाहिनी (उत्तर की ओर बहती है), जो अत्यंत शुभ मानी जाती है।

नोट

काशी का गंगाजल — केवल श्राद्ध, तर्पण, पितृ कार्य, अंतिम संस्कार में उपयोग।

पूजा, यज्ञ, अभिषेक — उपर्युक्त स्थानों के गंगाजल को ही प्राथमिकता दें।

गंगाजल को तांबे, चांदी, या स्टील के साफ बर्तन में संग्रह करें।

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