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जहां सात घोड़ों के रथ पर सवार भगवान भास्कर की प्रतिमा छठ व्रतियों के लिए दर्शनीय बनी है। औरंगाबाद के देव मंदिर की तरह ही अनोखा है प्रखंड मुख्यालय से सटे गोड़सरा का सूर्य मंदिर। देव का सूर्य मंदिर देश का एकमात्र प्रसिद्ध मंदिर है जिसके दवार का मुख पूर्व दिशा में न होकर पश्चिम दिशा में है। इसी तरह गोड़सरा का सूर्य मंदिर भी पश्चिमाभिमुख है।सरोवर के बीचोबीच स्थित इस मंदिर में भगवान भास्कर की प्रतिमा सात घोड़ों के रथ पर सवार है।
यहां छठ पर्व के अवसर पर यूपी- बिहार के व्रतियों की भारी भीड़ उमड़ती है। बताया जाता है कि दो सौ वर्ष पहले गोड़सरा गांव की सनफूला कुंवर ने 52 बीघे के विस्तार में सूर्य सरोवर को जनहित के दृष्टिकोण से खुदवाया था। लेकिन बाद के समयों में इस पोखरे के पींड से रात में कोई आता जाता नहीं था। लेकिन अब यह सरोवर रामगढ़ के धार्मिक व सामाजिक सरोकारों का प्रमुख केन्द्र बन गया। जहां बड़ी संख्या में लोग यहां छठ पर्व करने लगे। इस पावन जगह पर संत सुखराम दास उर्फ मुसहरवा बाबा ने यहां छह माह का यज्ञ कराया और श्रद्धालुओं की भावना का ख्याल करते हुए भव्य सूर्य मंदिर बनवाया।
पश्चिमी पिंड पर वेदमाता गायत्री का मंदिर निर्माणाधीन है। सूर्य मंदिर तक जाने के लिए पश्चिमी पिंड से मंदिर तक सरोवर में 100 फीट लंबा पुल बना है। मंदिर में पहली मंजिल पर माता सरस्वती- लक्ष्मी व गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित है। दूसरी मंजिल पर सूर्य देवता के अलावे भगवान विश्वकर्मा, मां दुर्गा, बजरंगबली सहित अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित है। यहां सालोभर दर्शन पूजन को श्रद्धालु आते रहते हैं। समाजिक कार्यकर्ता मनोज सिंह ने बताया कि यहां इस वर्ष एक माह पहले ही लोग छठ घाट सुरक्षित कर लिए। भीड़ इतनी अधिक है कि यहां दो तीन लेयर में व्रती छठ घाट बनाए हैं। सभी व्रतियों को गीर गाय के दुध से अर्ध व चाय का निःशुल्क इंतजाम किया गया है।
छठ महापर्व पर सूर्य सरोवर व सूर्य मंदिर का अद्भुत नजारा दिखता है। लकदक रौशनी से सुसज्जित सरोवर पर व्रती सरोवर में स्नान कर मंदिर में सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं। सरोवर की सफाई के बाद चारो ओर घाट बन चुका है। समिति के सदस्यों ने बताया कि भव्य सजावट के साथ दर्जन भर जगह पर कपड़े बदलने का घर बनाया गया है। लाइट रौशनी की जगमगाहट के कारण तीन दिनों से रात में दिन जैसा नजारा देखा जा रहा है।