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वीआईपी प्रमुख इसलिए बौखलाए हुए हैं क्योंकि बिहार के एनडीए ने उन्हें बहुत तरजीह नहीं दी, दरअसल मंत्री मुकेश सहनी विधान परिषद के स्थानीय निकाय चुनाव में एनडीए की तरफ से सीट चाह रहे थे लेकिन जदयू और भाजपा ने उन्हें एक भी सीट नहीं दी, इसके बाद वह चाह रहे थे कि उत्तरप्रदेश विधानसभा में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़े लेकिन बीजेपी ने उन्हें यहां भी मौका नहीं दिया, परिणाम यह हुआ कि वह अकेले चुनाव लड़ रहे हैं किसी से कोई गठबंधन नहीं किया है।
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मंत्री मुकेश सहनी अपने समाज यानि मल्लाह समाज को आरक्षण दिलाने को लेकर बिगुल फूंके हुए हैं और इसी को आधार बनाकर वह आगे की राजनीति करना चाह रहे हैं, उनका तर्क है कि उनके समाज को आरक्षण नहीं मिला तो वह अपने समाज के साथ खड़े होकर आरक्षण दिलाएंगे और 2025 में बिहार के मुख्यमंत्री बन जाएंगे।
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मंत्री मुकेश सहनी के इस बयान पर सत्तारूढ़ पार्टी जदयू ने बहुत कुछ तो नहीं कहा लेकिन इशारों इशारों में निशाना जरूर साधा है, जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा की राजनीति में मुंगेरीलाल का सपना हर कोई देखता है लेकिन हर किसी का सपना पूरा नहीं होता, बहुत नेता पैराशूट से लैंड करते हैं और सीधे मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं जबकि मुख्यमंत्री बनने के लिए नीति, नीयत और नैतिकता होनी चाहिए, रही बात मल्लाह समाज को आरक्षण देने की तो मुख्यमंत्री कुमार ने 2015 में ही कैबिनेट से निषाद समाज को आरक्षण का पूरा मसौदा पास कराकर केंद्र सरकार को भेज दिया है।
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नीतीश कुमार सर्व समाज के मुख्यमंत्री अकलियत, दलित, महादलित, पिछड़ा, अति पिछड़ा सभी समाज के लिए काम करते हैं, उन्हें समाज की मुख्यधारा में कैसे लाया जाए इस पर दिन रात मेहनत करते हैं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते नहीं, करके दिखाते हैं।