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दरअसल जिस कुत्ते ने बच्चों को जन्म दिया है वह इसी गांव में रहती है और आसपास के लोगों उसे खिलाते हैं छठ के कुछ दिन पूर्व शंभू दास के घर के पीछे बने बेरही में के नीचे उसने अपने बच्चों को जन्म दिया था उन्मूलन देखा जाता है कि जब गांव में कुत्ते बच्चे को जन्म देते हैं तो लोग उन्हें अपने घर ले जा कर पाते हैं उसी तरह जब बच्चों को देखने के लिए लोग गए तो देखा कि इसमें एक बकरी के बच्चा है जब लोगों को लगा कि किसी के बकरी के बच्चा होगा जो यहां आ गया है, आसपास के लोगों से पूछा गया लेकिन बकरी के बच्चा किसी का नहीं था, जिसके बाद गांव के ही शंभू दास अपने घर ले गए बताया कि कल मादा कुत्ता आई और ढाका में रखे बच्चे को अपने मुंह में दबाकर गांव के ही बांसबाड़ी लेकर चली गई, इसके बाद स्थानीय लोगों ने फिर उस बच्चे को उससे छुड़ाकर लाया और शंभू दास के ही घर पर रख दिया।
यह घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है लोग दुविधा में है कि आखिर यह बकरी के जैसे दिखने वाले बच्चे का क्या किया जाए लोगों का कहना है कि अगर इसे अपने पास रखते हैं और पालते भी है तो कुत्ते के दूध पीने की वजह से इसमें भी कुत्ते की तरह कुत्ते का विषैलापन आ गया हो अगर ऐसे ही छोड़ दिया तो इससे अगला संतान भी विषैला ही पैदा होगा जो खतरा है, इसके बाद गांव वालों ने इसे वन विभाग को सुपुर्द करने का फैसला किया है।