Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
जिसके बाद टीम के द्वारा रविवार की सुबह सुपौल के गोसपुर से हर्षित कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। जांच में यह पता चला की हर्षित कुमार इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड है। वह फेसबुक एवं अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से चीनी, वियतमान, कम्बोडिया एवं अन्य देशाें के नागरिकों के संपर्क में आया और उसके टेलिग्राम ग्रुप में शामिल हो गया। इन सरगनाओं ने उसे सिम बाक्स चलाने के लिए पैसे का लालच दिया। हर्षित ने वियतनाम से चार और चीन से चार सिम बाक्स डिवाइस प्राप्त किए। इन सिम बाक्स के माध्यम से इस गिरोह के द्वारा एक सामानान्तर एक्सचेंज का संचालन किया जा रहा था। जिसमें कम्बोडिया, थाइलैंड एवं अन्य देशों में अवस्थित साइबर स्कैन के अड्डों से साइबर धोखाधड़ी एवं फ्राड हेतु प्रारंभ हो रही ओआइपी काल को लोकल जीएसएम काल्स में अवैध रूप से रुपान्तरण कर देश के विभिन्न हिस्सों के नागरिकों से साइबर धोखाधड़ी की जा रही थी। प्रारंभिक जांच के अनुसार, इन सिम बॉक्सों के माध्यम से 10,000 से अधिक फर्जी कॉल एक दिन में ही किए जा रहे थे, जिनका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था।
जिससे दूर संचार विभाग भारत सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा था। SIM बॉक्स चलाने के लिए बड़ी संख्या में अवैध सिम कार्ड की आवश्यकता होती थी। हर्षित ने इसके लिए पाकुड़, झारखंड के सुमित साह नामक अपराधी से संपर्क किया। सुमित साह मार्च महीने से हर्षित को लगभग 1000 सिम कार्ड की आपूर्ति कर चुका है। सुमित साह स्वयं सुल्तान नामक व्यक्ति से सिम कार्ड लेता था और सुल्तान ने हर्षित को लगभग 400 सिम कार्ड उपलब्ध कराए थे। गिरफ्तार मु. सुल्तान एक कॉमन सर्विस सेंटर का संचालक है। वह कई फर्जी सरकारी योजनाओं में लाभार्थी बनाने का झांसा देकर, गांव में कैंप लगाता था एवं आम जनता का बायोमेट्रिक डेटा इकट्ठा करता था और इस बायोमैट्रिक डेटा का टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के पंजीकृत डिस्ट्रीब्यूटर एवं रिटेलर से मिलीभगत कर आम व्यक्तियों की बायोमैट्रिक पहचान के आधार पर बड़ी संख्या में सिम कार्ड हासिल करता था। और इस सिम का उपयोग सिम बाक्स के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी के लिए किया जाता था। इस मामले में कुल छह आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। जिसमें हर्षित कुमार मुख्य सरगना है।