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हत्या को आत्महत्या बता मामले को दबाने के आरोप में कोढ़ा डीएसपी पर कार्यवाई

Bihar: कटिहार जिले के कोढ़ा डीएसपी का कारनामा एक-एक कर सामने आ रहा है। हाल ही में अभी कोढ़ा गैंग के खिलाफ छापेमारी करने से पुलिस को रोकने का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था की कोढ़ा डीएसपी धमेन्द्र कुमार का एक और नया कारनामा सामने आ गया है। दरसल कोढ़ा डीएसपी के द्वारा पोठिया थाने में दर्ज एक विवाहिता के हत्या मामले को जांच के बाद आत्महत्या बना दिया गया। मामले का खुलासा तब हुआ जब मृतका पुष्पाजंलि के परिजनों ने डीआइजी पूर्णिया से मिलकर इस मामले में पुलिस की लीपापोती का मामला उठाया। परिजनों ने बताया की कोढ़ा डीएसपी धमेन्द्र कुमार एवं कटिहार के पोठिया थाना के इस मामले के अनुसंधानकर्ता ने इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की है। जिसके बाद इस मामले में डीआइजी ने कोढ़ा डीएसपी एवं अनुसंधानकर्ता द्वारा बरती गयी लापरवाही को देखते हुए कटिहार एसपी को इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया है।

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कोढा डीएसपी धर्मेन्द्र कुमार
कोढा डीएसपी धर्मेन्द्र कुमार

डीआइजी ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में लिखा है कि कोढ़ा डीएसपी के पर्यवेक्षण में इस घटना को आत्महत्या बताया गया है किन्तु आत्महत्या का कोई कारण स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। वही भारतीय न्याय संगिता की धारा 80 में स्पष्ट उल्लेख है कि शादी के 7 साल के अंदर किसी तरह के संदिग्ध मृत्यु को दहेज मृत्यु माना जायेगा। जबकि इस मृतिका की शादी को केवल 1 वर्ष हुए थे। मामले में वादी, मृतिका के मां एवं मामा द्वारा अपने बयान में दहेज मांगने एवं उसको लेकर प्रताड़ित करने की बात भी बतायी गयी है। इसके बावजूद कोढ़ा डीएसपी ने इन महत्वपूर्ण बिन्दुओं को पूरी तरह से अनदेखा किया। इसके अलावा कोढ़ा डीएसपी ने अपने पर्यवेक्षण टिप्पणी में एवं अनुसंधानकर्ता ने अपने कांड दैनिकी में मृतिका के पक्ष के मात्र तीन गवाहों का बयान दर्ज किया है। जबकि वादिनी अपने परिवार के कुल पांच लोगों के साथ घटनास्थल पर गई थी। जिसकी पुष्टि डीएसपी ने अपने पर्यवेक्षण टिप्पणी में वादिनी के बयान में भी किया है।

वादिनी का कहना है कि वे सभी गवाहों को साक्ष्य देने हेतु कोढ़ा डीएसपी के कार्यालय लेकर गयी थी। परन्तु वहां से शेष साक्षियों को भगा दिया गया। डीआइजी ने समीक्षा में यह पाया कि कोढ़ा डीएसपी ने अपने पर्यवेक्षण टिप्पणी में कहीं भी मृत्यु समीक्षा रिर्पोट का जिक्र नही किया है जबकि हत्या / दहेज मृत्यु के मामले में यह एक महत्वपूर्ण साक्ष्य है जिसकी जानबूझ कर अनदेखी की गई ताकि अभियुक्त पक्ष को लाभ पहुंच सके। इसके अलावा अनुसंधानकर्ता द्वारा भी साक्षियों की गवाही में मृत्यु समीक्षा रिर्पोट का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। अनुसंधानकर्ता ने पुष्पांजलि की मृत्यु को आत्महत्या माना लेकिन आत्महत्या हेतु उकसाने के मामले में गिरफ्तारी का कोई प्रयास नहीं किया गया। बल्कि इस मामले को प्रेम प्रसंग का रूप देकर अभियुक्तों को लाभ देने का प्रयास किया गया। प्रेम-प्रसंग के कारण आत्महत्या करने का कोई साक्ष्य भी पुलिस नहीं जुटा पायी है। डीआइजी ने समीक्षा में पाया कि डीएसपी कोढ़ा ने अपने पर्यवेक्षण टिप्पणी में यह उल्लेख किया है कि मृतिका के दरवाजा खुलने से पहले सभी अभियुक्त घर से फरार हो गये थे, जो इस बात की पुष्टि करता है कि सभी अभियुक्तों को घटना की पूर्ण जानकारी थी।

पूर्णिया डीआइजी ने समीक्षा में पाया कि इस मामले के अनुसंधानकर्ता द्वारा बताया गया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण गला घोंटना बताया गया है जो की हत्या की पुष्टि करता है। अपने प्रगति प्रतिवेदन में कोढ़ा डीएसपी द्वारा इस कांड के पांच प्राथमिकी नामजद अभियुक्तों का बचाव किया गया है जबकि कांड के प्राथमिकी नामजद अभियुक्तों के बचाव में कोई साक्ष्य अपने पर्यवेक्षण टिप्पणी में उल्लेख नहीं किया गया है जो उनके पर्यवेक्षण को संदिग्ध करता है। इस मामले में पूर्णिया डीआइजी के सख्ती के बाद इस मामले में डीएसपी एवं अनुसंधानकर्ता के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश देते ही हड़कंप मच गया। डीआइजी ने इस मामले के सभी पांच अभियुक्तों को भी गिरफ्तार करने का निर्देश दिया। जिसके परिणाम स्वरूप डीआइजी के आदेश के महज 24 घंटे के अंदर इस मामले के मुख्य आरोपित अजीत कुमार ने न्यायालय के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। अजीत कुमार मृतका का पति है।

 

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