Bihar: कैमूर जिले के सभी प्रखंडों में भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन के अवसर पर लोगों में उत्साह दिखा बाजारों में मिठाई की दुकान और राखी की दुकानों पर काफी भीड़ लगी रही, वहीं दूसरी तरफ मुख्य मार्ग में भी वाहनों का आवागमन काफी अधिक रहा, चैनपुर हाटा आदि बाजारों में तो जाम की स्थिति बन गई।
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मान्यता चली आ रही है की रक्षा सूत्र बांधकर बहनें अपने भाई के लंबी उम्र की कामना करते हुए अपनी रक्षा का वचन लेते हैं, वहीं भाई अपने बहनों को उपहार देते हुए सुरक्षा का वचन देता है, और यही भाई बहन के पवित्र रिश्ते का आधार है, हालांकि इस वर्ष विद्वान ब्राह्मणों के अनुसार दोपहर 2 बजे से रक्षाबंधन त्यौहार मनाने का मुहूर्त बताया गया है उस आधार पर रक्षाबंधन पर मनाया गया है।
मान्यता के अनुसार यह कथा काफी प्रचलित है कि असुरराज दानवीर राजा बलि ने देवताओं से युद्ध करके स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था, जिसके बाद राजा बलि का अहंकार चरम पर था, उस अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु वामन अवतार लिया और ब्राह्मण के भेष में राजा बलि के पास भिक्षा मांगने पहुंचे, और तीन पग जमीन मांगी थी, जो राजा बलि ने उन्हें दे दिया, दो पगों में वामन अवतार ने धरती आकाश पाताल नाप लिया था और तीसरा पग बाकी था, तब भगवान विष्णु के अवतार ने राजा बलि से पूछा तीसरा पग कहां रखूं जिस पर राजा बलि ने अपने सिर आगे करते हुए सिर पैर रखने को कहा गया, तब भगवान के द्वारा राजा बलि के सिर पर पैर रखते हुए राजा बलि को रसातल में भेज दिया गया और वहां का राजा बनाकर अजर अमर कर दिया।
मगर इस बीच राजा बलि ने वरदान के रूप में भगवान विष्णु को अपने आंखों के सामने दिन-रात रहने का वचन भी ले लिया, जिसके बाद राजा बलि के द्वारा किए जा रहे सेवा सत्कार में ही भगवान विष्णु पाताल में रहने लगे, इधर लक्ष्मी जी अकेली व्याकुल थी, तब नारद जी ने लक्ष्मी जी को उपाय बताया, उस उपाय के तहत ही माता लक्ष्मी राजा बलि के पास पहुंची और राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बना लिया, और पति भगवान विष्णु को अपने साथ ले आई, उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी तभी से रक्षा बंधन का त्यौहार प्रचारण में है।
यही कारण है कि आज भी रक्षाबंधन में राखी बांधते वक्त या किसी भी मंगल कार्य में मौली बांधते वक्त यह श्लोक कहा जाता है।
“येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल-माचल:।।”
वहीं दूसरी कथा प्रचलित है कि राजपूत घराने के वीर सपूत जब युद्ध पर जाते थे तो वह सुरक्षित घर लौटे इसके लिए उनकी बहनें उनके कलाई पर रक्षा सूत्र बंधती थी मान्यता है की बहनों के द्वारा रक्षा सूत्र बांधने के बाद भाई युद्ध में विजयी प्राप्त कर सुरक्षित घर लौटते थे इसके बाद भाई बहन के इस प्रेम के प्रति रक्षाबंधन के पर्व को लोगों के द्वारा मनाया जाने लगा जो आज भी निरंतर लोग उत्साह के साथ मना रहे हैं।