Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!


हालांकि कुछ साल पूर्व गांव के ही एक व्यक्ति ने होली के दिन मालपुआ और पूरी बनाने के लिए कढ़ाई में जैसे ही तेल डालकर उसमें पुआ छानने के लिए मैदा डाला ही था कि कढ़ाई से तेल का इतना जबरदस्त छिड़काव हुआ कि घर के छप्पर में आग लग गई और उसी व्यक्ति के घर का छप्पर पूरी तरह जल गया। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति उस दिन होली मनाना चाहता है, उसके साथ बहुत बड़ी दुर्घटना होती है। इस गांव की बेटी दूसरे घर जाती है, तो वहां वह होली मना सकती है। लेकिन इस गांव का कोई बेटा चाहे वह दिल्ली मुम्बई पटना में ही क्यों न रहता हो वह होली के दिन किसी भी प्रकार का उत्सव नहीं मना सकता है। अन्य दिनों की तरह हीं लोग होली के दिन भी साधारण भोजन बनाते और खाते हैं। गांव के लोग से पूछे जाने पर बताया कि हम लोग वैशाख के समय विशुआ के दिन पुआ और पकवान बनाते है और होली खेलते है।