Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
वही उन्होंने बताया की शिकायत के बावजूद ट्रैफिक डीएसपी कार्यालय के द्वारा उन्हें खुद फर्जी नंबर प्लेट वाले वाहन की तलाश करने की सलाह दी गई। वही नालंदा जिले में भी एक शिक्षक का मामला ऐसा ही है, जिन्होंने मोजाहिदपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई। मगर पुलिस ने सिर्फ सनहा दर्ज कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। शहर के चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरे और आधुनिक संसाधनों के बावजूद दोषियों को पकड़ने में असफलता पुलिस और ट्रैफिक विभाग की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े करती है। निर्दोष वाहन मालिक न केवल आर्थिक नुकसान उठा रहे हैं, बल्कि मानसिक तनाव का भी सामना कर रहे हैं। वही इसकी जानकारी होते ही एसएसपी आनंद कुमार ने इन घटनाओं पर संज्ञान लेते हुए बताया कि ट्रैफिक डीएसपी को शिकायतों की जांच के आदेश दिए गए हैं।
साथ ही, ट्रिपल-सी (कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन सेंटर) के कैमरों का गहन अवलोकन कर दोषियों की पहचान की जाएगी। उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा की फर्जी नंबर प्लेट का इस्तेमाल करने वाले अपराधियों के खिलाफ FIR दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इन घटनाओं ने भागलपुर और आसपास के क्षेत्रों में लोगों के बीच गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक विभाग अपनी जिम्मेदारियों से बचते रहेंगे? क्या तकनीकी संसाधनों की मौजूदगी के बावजूद निर्दोष नागरिकों को ऐसे फर्जीवाड़े का शिकार होना पड़ेगा? यह स्थिति न केवल प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करती है, बल्कि नागरिकों के भरोसे को भी कमजोर करती है। जरूरत है कि इन घटनाओं पर सख्त कदम उठाए जाएं ताकि निर्दोष लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।