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हममें उतनी क्षमता नहीं है, कछुए के समान हम धीरे-धीरे ही चलेंगे। पूरे बिहार की पदयात्रा करने में अभी एक-डेढ़ साल का समय और लग सकता है। हमको कोई घबराहट नहीं है। चाहे दो वर्ष लगे या चार वर्ष। हम संकल्पित होकर आए हैं जबतक बिहार को सुधारने के लिए ये व्यवस्था न बना लें तबतक पीछे हटने वाले नहीं हैं। साथ ही प्रशांत किशोर ने कहा कि इस जिले के बाद हम मधेपुरा जाएंगे, वहां से सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया फिर कटिहार जाएंगे। जन सुराज को राजनीतिक दल बनाने पर कहा कि जब पदयात्रा पूरी हो जाएगी, तो दल बन जाएगा।
इस पदयात्रा का दिन और किलोमीटर निश्चित नहीं है, इसका लक्ष्य निश्चित है, इस लक्ष्य को पूरा करने में कभी 20 दिन लगते हैं, तो कभी ज्यादा दिन। मान लीजिए सहरसा में इस काम को पूरा करने में 20 दिन लगेंगे, लेकिन अगर 24 दिन भी लग रहे हैं तो उस काम को पूरा करना मकसद है। बावजूद इसके 20 दिन में काम को कर मधेपुरा के लिए निकल जाएं। हमारे लिए ये पदयात्रा किलोमीटर पूरा करने की रिले रेस या मैराथन नहीं है।