Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
जिसके बाद मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरु की तो पुरे मामले का खुलासा हुआ। बताया कि शुरुआत से ही इस घटना में संजय यादव की भूमिका संदिग्ध दिख रही थी। पहले उसने पुलिस के समक्ष बयान दिया था कि सभी हमलावरों को देखा है और हमलावरों की पहचान की थी लेकिन बाद में वह अपने बयान से मुकर गया। इस दौरान वह पुलिस के समक्ष अलग-अलग कई तरह के बयान देता रहा। जिससे उस पर शक और गहरा हो गया। उसने जिन लोगों के खिलाफ नामजद केस दर्ज कराया था, तकनीकी अनुसंधान के बाद उन लोगों की मौजूदगी घटनास्थल के आसपास नहीं देखी गई। इसी आधार पर संजय यादव तथा उसके सहयोगी सकेन्द्र को गिरफ्तार किया गया।
दरसल संजय यादव की पत्नी मृतका पविया देवी के नाम 150 डिसिमल से अधिक जमीन, एक स्कार्पियो और पटना में डेढ़ कट्ठा का बना मकान और कई बेनामी संपत्ति थी। संजय यादव एवं उसका भाई प्रमोद यादव पविया से सभी संपत्ति अपने नाम लिखने का दबाव बनाते रहते थे। इस कारण लगातार उसके साथ मारपीट भी की जाती थी। इसे लेकर बीते फरवरी माह में पविया देवी के द्वारा लक्ष्मीपुर थाना में एक सनहगा भी दर्ज कराया गया था। जिसमें उन्होंने अपनी जान का खतरा बताया था तथा इसकी जानकारी अपने मायके में भी दी थी।
इसके साथ ही संजय यादव ने दूसरी शादी कर रखा था। दूसरी पत्नी को गांव में साथ रखना चाहता था। इसी को लेकर संजय यादव ने अपने भाई प्रमोद यादव तथा एक अन्य सहयोगी सकेन्द्र यादव उर्फ गुड्डू यादव के साथ मिलकर पविया देवी की हत्या कर दी तथा पुलिस को गुमराह किया। संजय यादव का पुराना आपराधिक इतिहास रहा है। उस पर हत्या, लूट, डकैती सहित 10 संगीन मामले दर्ज हैं। मामले में फरार प्रमोद यादव की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस छापेमारी कर रही है। उक्त कार्रवाई में लक्ष्मीपुर थानाध्यक्ष आलोक कुमार तथा तकनीकी शाखा के कर्मी शामिल थे।