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डॉ चंद्रशेखर से शिक्षा विभाग छीन कर सीएम नीतीश ने दिया दो बड़े मैसेज

Bihar: पटना, सीएम नीतीश कुमार के द्वारा डॉ चंद्रशेखर से शिक्षा विभाग छीन कर गन्ना उद्योग विभाग पकड़ा दिया गया है। दरसल बीते 8 जनवरी 2024 को शिक्षा मंत्री डॉ चंद्रशेखर के द्वारा राम मंदिर को लेकर विवादित बयान दिया गया था उन्होंने कहा था की मंदिर का रास्ता गुलामी की तरफ ले जाता है। उन्होंने अधिकारियों से कहा अब एकलव्य का बेटा अंगूठा दान करने के बजाय जवाब देगा। राम मंदिर के निमंत्रण में गांव-गांव अक्षत बांटने पर भी बयान दिया था।

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वही 11 जनवरी 2024 को भी उन्होंने रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था और कहा था की  रामचरितमानस समाज में दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है। उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है। यह समाज में नफरत फैलाता है। ’वही 18 जुलाई 2023 को बोला धार्मिक ग्रंथो में कुछ चीज़ सीखने और अनुकरण करने की है लेकिन कुछ कचरा भी है जो कचरा है वह बहुत खतरनाक है और 14 सितंबर 2023 को ‘बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी रामचरितमानस में पोटेशियम साइनाइड है। जब तक यह जहर रहेगा, तब तक मैं इसका विरोध जारी रखूंगा। इन बयानों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ जेडीयू असहज हो गई थी। जेडीयू नेता लगातार उनके ऐसे बयानों का विरोध कर रहे थे। इशारों-इशारों में सीएम ने इस तरह के बयानों से बचने के लिए कहा था, लेकिन चंद्रशेखर नहीं मान रहे थे। सीएम नीतीश कुमार पहले ही डॉ. चंद्रशेखर पर कार्रवाई करना चाहते थे। उन्होंने कोशिश भी की, लेकिन आरजेडी तैयार नहीं हुई। परिस्थितियां बदली तो सीएम नीतीश कुमार ने अपना काम कर दिया।

वही बिहार के सबसे चर्चित मंत्री डॉ. चंद्रशेखर से शिक्षा विभाग छीन कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गन्ना उद्योग विभाग पकड़ा कर अपने इस एक्शन से दो बड़े मैसेज दिए हैं। पहला सरकार तेजस्वी नहीं, नीतीश कुमार चला रहे हैं, दूसरा वह भगवान राम और राम मंदिर के खिलाफ नहीं हैं। वही यह बात सुर्खियों में है शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक से भी मंत्री डॉ. चंद्रशेखर का विवाद हो गया। चंद्रशेखर केके पाठक की जगह अपने चहेते अफसर को लाना चाहते थे। शिक्षा मंत्री के निजी सचिव के एक आदेश को लेकर केके पाठक ने सवाल खड़ा किया था। इसके बाद से निजी सचिव के शिक्षा विभाग में आने पर रोक लगा दी गई थी। विवाद इतना बढ़ा कि केके पाठक अचानक छुट्‌टी पर चले गए। छुट्‌टी पर जाने के साथ ही चर्चा चली कि केके पाठक ने विभाग छोड़ दिया। इस बीच, केके पाठक ने अपनी छुट्‌टी की अवधि और बढ़ा दी। इसके बाद चर्चाओं का बाजार और गर्म हो गया।

 

 

 

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