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कैमूर का टॉप-10 कुख्यात अपराधी गुरुचरण चढ़ा पुलिस के हत्थे

Bihar: कैमूर जिले के टॉप-10 अपराधी की सूची में शामिल फरार कुख्यात अपराधिक गुरुचरण को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है काफी समय से पुलिस को इसकी तलाश थी बड़ी मशक्कत के बाद पुलिस को डेढ़ साल बाद कामयाबी मिली जानकारी के अनुसार घटना बुधवार की रात 11 बजे के आसपास की है, रामगढ़ बड़ौरा रोड के नटवां डेरा के पुलिया के पास से पुलिस ने इसे धर दबोचा, हत्या व रंगदारी के मामले में पुलिस को इस शातिर की लंबे अर्से से तलाश थी।

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जानकारी देते हुए एसपी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि गुरुचरण को जमानियां जा रही रोड के नटवां डेरा से दबोचा गया इसके पास से एक देशी कट्टा, दो जिंदा कारतूस व दो मोबाइल बरामद किया गया है जिसमें नागालैंड का सीम लगा हुआ है इसी सीम का इस्तेमाल वो ज्यादा कर रहा था जिसके चलते सर्विलांस पर उसका नंबर नहीं आ पा रहा था।

इसका लंबा आपराधिक इतिहास रहा है हत्या व रंगदारी वसूली से दहशत फैलाने के मामले में मोस्टवांटेड था, हाल में यह थाना क्षेत्र के गोड़सरा गांव के संजय चौधरी से दस लाख रुपए की रंगदारी की मांग कई बार कर चुका है संजय ने इस मामले थाना में आवेदन भी दिया था बीते महीनों में यह रामगढ़ में कई वारदातों को अंजाम देने का भी आरोपी है रामगढ़ थाना क्षेत्र में इसके खिलाफ हत्या, रंगदारी मांगने, गोलीबारी कर दहशत फैलाने के पांच मामले दर्ज हैं, दो साल पहले इसने गोड़सरा के विजयमल चौधरी को हत्या करने के इरादे से गोली मारी थी लेकिन वह बच गया, तब से यह फरार था।

इस बीच यह रंगदारी मांगने व धमकाने का कार्य करता रहा कुछ महीने बाद विजयमल के बहनोई अकोढ़ी निवासी अमीन रामनिवास चौधरी की हत्या दैतरा बाबा स्थान के पास गोली मारकर कर दी गई थी इस हत्या में भी इसके खिलाफ रामगढ़ थाना में मामला दर्ज है, कुख्यात यूपी के कई संगीन मामलों में भी जेल जा चुका है, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत इस पर यूपी के मोहम्मदाबाद में मामला दर्ज हुआ था।

यूपी में हीं आर्म्स एक्ट में जेल भी जा चुका है, बताया जा रहा है कि अंकोढ़ी पंचायत से मुखिया का चुनाव हारने के बाद गुरुचरण अपराधी के रौ में दिखने लगा था हार के सूत्रधार रहे लोगों को निशाने पर ले लिया था, चुनाव परिणाम के बीते कुछ माह अभी हुए थे कि अंकोढ़ी में एक समारोह के दौरान गोड़सरा के बिजयमल चौधरी को गोलियों से भून दिया था, हालांकि वे किस्मत वाले रहे कि कई गोली लगने के बाद बनारस के ट्रामा सेंटर में जीवन और मौत से छह महीने तक लड़ते रहे, उस घटना के बाद कई प्रतिद्वंद्वी को लोगों को सबक सिखाने की चेतावनी दिया था इस बीच वे बाजार में भी कई बार आया गया लेकिन पुलिस के हाथ नहीं लग पाया था जिससे पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर लोग उंगली भी उठा रहे थे।

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